Tuesday 30 August 2016

Chutiyapa नंबर वन

सत्यार्थ प्रकाश सप्तम संमुल्लास पेज नंबर १६९ मे दयानन्द लिखते है ।
अग्नेर्वा ऋग्वेदो जायते वायोर्यजुर्वेद: सुर्यात्सामवेद: ॥
(चुतियापा नम्बर १) स्वामी जी इसका अर्थ लिखते है की
"प्रथम अर्थात सृष्टि के आदि मे परमात्मा ने अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा ऋषियों के आत्माओं मे एक-एक वेद का प्रकाश किया ।"
अब जरा इस धुर्त के भाष्य पर एक नजर डालकर देखें दयानंद ने इस श्लोक का जो भाष्य किया है वही दयानंद को मूर्ख और धुर्त सिद्ध करने के लिए काफी है
इस श्लोक में अग्नि देव से ऋग्वेद, वायुदेव से यजुर्वेद और सूर्य देव से सामवेद ये तो समझ में आता है क्योंकि सृष्टि के आदि में ३ ही वेद थे और ये श्लोक भी यही बताता है (इससे प्रकट होता है कि आरम्भ में ३ ही वेद थे । समय व्यतीत होने के साथ महर्षि अंगिरा ने वेदों के अभिचार और अनुष्ठान वाले कुछ मंत्रों को अलग करके चतुर्थ वेद की रचना की जिसका नाम अथर्ववेद हुआ।) इसका प्रमाण तो मनुस्मृति में भी मिलता है पर मेरी समझ में ये नहीं आता कि इस धूर्त ने इस श्लोक में अंगिरा और अथर्ववेद कहाँ से निकाला
क्या कोई आर्य समाज का तथाकथित बुद्धिजीवी इस पर प्रकाश डालेगा ???
की दयानंद ने यहाँ पर अंगिरा और अथर्ववेद किस प्रकार जोड़ा ????
अब आइए आगे बढ़ते है और आपको दयानंद की महाचुतियापंति के दर्शन कराते है
प्रश्नकर्ता प्रश्न करता है की
यो वै ब्राह्मणम् विदधाति पूर्वम् यो वै वेदंश्च प्रहिणोति तस्मैं ॥
इस मंत्र मे वो ब्रह्मा जी के हृदय मे किया है फिर अग्निआदि ऋषियो को क्यो कहा ??

(महा चुतियापा नम्बर २) स्वामी जी जवाब देते है ।
ब्रह्मा की आत्मा मे अग्निआदि द्वारा स्थापित कराया देखो मनुस्मृति मे क्या लिखा है -
अग्निवायुरविभ्यस्तु त्र्यं ब्रह्म सनातनम।
दुदोह यज्ञसिध्यर्थमृग्यजु: समलक्षणम्॥- मनु (१/२३)
धुर्त दयानंद इसका भावार्थ लिखते है की
जिस परमात्मा ने आदि सृष्टि में मनुष्यों को उत्पन्न करके अग्नि आदि चारों ऋषियों के द्वारा चारों वेद ब्रह्मा को प्राप्त कराये और उस ब्रह्मा ने अग्नि, वायु, आदित्य और (तु अर्थात) अंगिरा से ऋग, यजुः, साम और अथर्ववेद का ग्रहण किया।
दयानंद के इस भावार्थ से ये साबित हो जाता है की स्वामी जी केवल मुर्ख ही नही अपितु अव्वल दर्जे के महाधूर्त भी थे ।
या फिर उन्होंने सरासर लोगो को भ्रमित करने का कार्य किया है ( इसकी बात अभी करेंगे )
बढ़ते है थोड़ा आगे
प्रश्नकर्ता आगे पूछता है
"उन चारो ही में वेदों का प्रकाश किया, अन्य में नहीं । इससे ईश्वर पक्षपाती होता है"
(चुतियापा नम्बर ३) स्वामी जी उत्तर देते है
"वो ही चार सब जीवो से अधिक पवित्रात्मा थे , अन्य उनके सदृश नही थे । इसलिए पवित्र विद्या का उन्ही मे प्रकाश किया"
प्रश्नकर्ता आगे कुछ नही कहता है लेकिन मैं पूछना चाहूँगा
की सृष्टि की उत्पत्ति के समय कोई आत्मा सबसे पवित्र कैसे हुई ???
और अन्य उससे कम कैसे ??
स्वामी जी के अनुसार क्या ईश्वर पक्षपाती नही हुआ ???
और सृष्टि के आदि मे जब मनुष्य की उत्त्पत्ति हुई उस वक़्त तो कोई काम, क्रोध, लोभ, मोह, छल इत्यादि भी नही था जबकि पैदा हुआ बच्चा भी पाप पुण्य के बंधन से मुक्त होता है
फिर दयानंद का ये कथन की वो चार ही सबसे अधिक पवित्रात्मा थे क्या ये बेवकूफी भरा नही है ???
मैं आप लोगो से ही पुछता हूँ क्या दयानंद चुतिया नही था। यदि आप कहते है कि नही तो आइए आपको दयानंद की महा चुतियापंति के दर्शन करता हूँ
प्रश्नकर्ता आगे प्रश्न करता है हालांकि बेवकूफी भरा प्रश्न है
" किसी देश की भाषा मे वेदों का प्रकाश ना करके संस्कृत मे ही वेदों का प्रकाश क्यों किया ??"
मानता हु की ये सवाल बेतुका है
परन्तु विश्वास मानिये आर्य समाज के तथाकथित महाभंगी दयानंद ने इसका जो जवाब दिया वो वाकाइ मे इससे भी ज्यादा बेतुका है
(महाचुतियापा नम्बर ४) स्वामी जी कहते है
"जो किसी देश-भाषा में प्रकाश करता तो ईश्वर पक्षपाती होता, क्योंकि जिस देश की भाषा मे प्रकाश करता, उनको सुगमता और विदेशियों को कठिनता वेदों के पढ़ने-पढ़ाने की होती ।
इसलिए संस्कृत ही में प्रकाश किया, जो किसी देश भाषा नही और अन्य सब देशभाषाओं का कारण है । उसी में वेदों का प्रकाश किया ।"
क्या दयानंद का ये जवाब वाकई मे हास्यपद और बेवकूफी भरा नही है ??
मैं समस्त आर्य समाजियों से पूछता हूँ
सृष्टि की उत्पत्ति के समय कितने देश थे ???
और कितनी भाषाए बोली जाती थी ???
जैसा की दयानंद का भी यही मानना था की संस्कृत हर भाषा का कारण है
तो क्या संस्कृत कभी बोली नही जाती थी ???
मतलब साफ है की दयानंद ने लोगो को भ्रमित करने का प्रयास किया है
इसकी पुष्टि भी मैं अभी ही किए देता हूँ ।
जैसा कि दयानंद ने ऊपर लिखा था
अग्निवायुरविभ्यस्तु त्र्यं ब्रह्म सनातनम।
दुदोह यज्ञसिध्यर्थमृग्यजु : समलक्षणम्॥- मनु (१/२३)
जिस परमात्मा ने आदि सृष्टि में मनुष्यों को उत्पन्न करके अग्नि आदि चारों ऋषियों के द्वारा चारों वेद ब्रह्मा को प्राप्त कराये और उस ब्रह्मा ने अग्नि, वायु, आदित्य और (तु अर्थात) अंगिरा से ऋग, यजुः, साम और अथर्ववेद का ग्रहण किया।
दयानंद ने इस श्लोक के अर्थ का भी उसी प्रकार कबाडा कर रखा है
जैसा कि अन्य श्लोक व मंत्रों के साथ किया है
और उनके इस भावार्थ से साफ साफ पता चलता है की या तो उन्हें संस्कृत का ज्ञान ही नही था या फिर ये सब दयानंद का षडयंत्र था लोगो को भ्रमित कर उनके मस्तिष्क में गलत बाते भर सनातन धर्म को तोडने के लिए ।
अब आइए एक नजर इस श्लोक के शब्दार्थ पर भी डाल लेते है ।
अग्निवायुरविभ्यस्तु त्र्यं ब्रह्म सनातनम।
दुदोह यज्ञसिध्यर्थमृग्यजु : समलक्षणम्॥- मनु (१/२३)
इसके पश्चात उस (ब्रह्म) - परमात्मा ने ।
(यज्ञसिध्यर्थम्) - यज्ञ सिद्धि हेतु ।
(लक्षणम्) - समान गुण वाले ।
(त्र्यं सनातनम्) - तीनो सनातन देवों और वेदों ।
(अग्निवायुरविभ्यस्तु) - अग्नि, वायु, और सूर्य द्वारा ।
ऋग्यजु:साम् - ऋगवेद, यजुर्वेद और सामवेद को ।
दुदोह - प्रकट किया ।
भावार्थ- इसके पश्चात उस परमात्मा ने यज्ञों की सिद्ध हेतु तीन देवों- अग्नि, वायु और सूर्य द्वारा सनातन तीनों वेदों ऋग्वेद , यजुर्वेद और सामवेद को प्रकट किया॥
अब कोई ये बताए कि इस श्लोक मे अथर्ववेद और ऋषि अंगिरा का उल्लेख कहा है ??
और दयानंद ने जो इसमे बकवास कर रखा है जैसे प्रारम्भ मे ४ ऋषि थे उनमे एक अंगिरा थे इन चारो ने ब्रह्मा को वेद ज्ञान दिया
आइये अब इस धुर्त दयानंद के मुहँ पर सत्य का तमाचा मारते है और मनुस्मृति से ही प्रमाण देकर धूर्त दयानंद को सबके सामने नंगा करते हैं
(प्रमाण नम्बर १)
तदण्डमभवद्धैमं सहस्रांशुसमप्रभम् ।
तस्मिञजज्ञेस्वयंब्रह्मा सर्वलोकपितामहः ॥ मनुस्मृति १/११
प्रकृति मे आरोपित बीज अल्प काल से ही सहस्त्रों सूर्यों के समान चमकीले अंडे के समान प्रकाशयुक्त हो गया और फिर उसी तेज पुंज प्रकाश से सब लोगो के पितामह ब्रह्मा जी प्रकट हुए ।
मनुस्मृति मे साफ शब्दों मे लिखा हुआ है की ब्रह्मा जी की उत्पत्ति सबसे पहले हुई और इस जग के पितामह वही है ।।
(प्रमाण नम्बर २)
आपो नारा इति प्रोक्ता आपो वै नरसूनव:
ता यदस्यायनं पूर्व तेन नारायण: स्मृत: ।।मनुस्मृति १/१२
अप्त तत्व का एक नाम 'नार' है क्योकि वह नर अर्थात् ब्रह्म से उत्पन्न हुआ है। ब्रह्म की ब्रह्मा रूप में उत्पत्ति इसी नार से हुई है । इसलिए ब्रह्मा जी का एक नाम 'नारायण' भी है ।।
इन दोनो तथ्यों से साफ साफ पता चलता है की आदि सृष्टि मे मनुस्मृति के आधार पर ब्रह्म की ब्रह्मा रूप में उत्त्पत्ति सर्वप्रथम हुई ।
इन बातो और प्रमाणों के साथ मैं विश्वास से कह सकता हूँ की दयानन्द एक षणयंत्रकारी था सिर्फ अपने व्यक्तिगत स्वार्थ, के लिए वेद मंत्रों और अन्य ग्रंथों आदि के श्लोकों के अर्थ का अनर्थ कर लोगों को भ्रमित करना उसके षडयंत्र का एक हिस्सा था। मैंने अपने जीवन में यहां तक की सम्पूर्ण इतिहास में दयानंद से बड़ा झूठा, नास्तिक, स्वार्थी, लोभी, कामी, दुष्ट, अंहकारी विधर्मी, राष्ट्रद्रोही, नरभक्षी और अव्वल दर्जें का महाधूर्त व्यक्ति ना तो कभी सुना ही है और ना ही कभी देखा ही है ।
साला बेवडा कहीं का भंग के नशे में कुछ भी अनाप सनाप लिख गया और कुछ दिमाग से पैदल मुर्ख समाजी इस चुतिये को न जाने कौन कौन सी उपाधि देते फिरते है

3 comments:



  1. कई स्रोतों के अनुसार, मुहम्मद की कई पत्नियाँ और यौन-दासियाँ थीं मुहम्मद ने उसका उपभोग किया

    विभिन्न इस्लामिक स्रोतों के अनुसार, मुहम्मद की पत्नियों की निम्न सूची है। यह है
    यह संभव है कि यह संख्या अभी भी पत्नियों की वास्तविक संख्या से कम हो सकती है।
    1. खदीजा / खदीजा
    2. सौदा बिंट ज़मआ
    3. आइशा ’
    4. उम्म सलामा
    5. हफ़सा
    6. ज़ैनब बंट जहश (पैगंबर के दत्तक पुत्र जैद की पत्नी)
    7. जुवैरिया
    8. उम्म हबीबा
    9. सफ़िया
    10. मैमुना बिंत हरिथ
    11. फातिमा
    12. हिंद
    13. सना बिंट अस्मा '/ अल-नशत
    14. ज़ैनब बंट ख़ुजिमा
    15. Unknown women that have sex with muhammad but mentioned in kuran
    16. तलाकशुदा अस्मा का बिन्त नोमान
    17. तलाकशुदा मुल्लाह बिन दाउद
    18. तलाकशुदा अल-शानबा 'बिंट' अम्र
    19. तलाक-ए-आलियाह
    20. तलाकशुदा अमरा बिन्त यज़ीद
    21. तलाक एक औरत
    22. क़ुतुलाह बिंत क़ईस
    23. सना बिंट सूफियान
    24. शराफ बिन्त खलीफा
    उनके कुछ उपपत्नी / सेक्स-दास हैं: -
    25. मारिया द कॉप्ट ( ईसाई)
    26. रेहाना बंट ज़ैद
    27. उम्म शारिक / गज़ियाह बिन्ट जाबिर
    28. मैमुना
    29. ज़ैनब
    30. खावला बिन्त अल-हुदयाल

    Some popular sex worker of Muhammad
    ==Khadijah==
    ख़दीजा बिन्त ख्वैलिद / खुवेलाइद (555 - 619 ईस्वी) मुहम्मद की पहली पत्नी थी और दूर के चचेरे भाई बानी असद जनजाति से संबंधित हैं। वह चालीस साल की एक धनी महिला थी जिसने उसे चलाया
    खुद का व्यवसाय, और मुहम्मद के साथ उसका प्रेम संबंध एक विवादास्पद था जो लगभग समाप्त हो गया था

    ==आयशा==
    कभी आयशा के रूप में पहचाने जाने वाली आयशा, मुहम्मद की नौ साल की बाल-वधु थी। वह थी छह साल की उम्र में उनकी सगाई 50 साल की उम्र में हुई थी। वह अबू बकर की बेटी भी थीं ..मुहम्मद का दोस्त और भविष्य का खलीफा। वह मुहम्मद की "पसंदीदा पत्नी" बन गई। मुसलमानों का दावा है कि इसके विपरीत, आइशा मुहम्मद को उसके पिता द्वारा 'पेशकश' नहीं की गई थी। मुहम्मद जिन्होंने अबू बकर से संपर्क किया, और अबू बक्र ने मूल रूप से विरोध किया। हालाँकि, मुहम्मद अल्लाह से एक 'दैवीय' रहस्योद्घाटन के साथ अपने विकृति को उचित ठहराया, जो भी नष्ट हो जाता है
    एपोलॉजिस्ट सांस्कृतिक सापेक्षवाद की अपील करते हैं। ज़ैनब बंट जहश मुहम्मद का पहला चचेरा भाई था। भविष्यवक्ता ने प्रस्तावित किया कि वह अपने दत्तक पुत्र से विवाह करेगी

    ==Zayd ==
    नामक पांडुलिपि दास - शादी केवल 2 साल तक चली। मुहम्मद उसे एक के रूप में चाहते थे
    तलाक के बाद पत्नी और उससे शादी। (बाद में अल्लाह की ओर से अन्नया (33:37) की अनुमति दी गई
    संघ। इसके बाद इस्लाम के तहत गोद लेने की कानूनी स्थिति को मान्यता नहीं दी गई है।

    ==Safiyah==
    सफ़ियाह बिंट हुयय्य (610 - 670 ईस्वी) कियाना की दुल्हन यहूदी जनजातियों के प्रमुख थे । जब मुसलमानों ने खैबर पर आक्रमण किया और विजय प्राप्त की, तो लड़ाई करने वाले लोग थे..
    मारे गए और साफिया को बंदी बना लिया गया (बाकी महिलाओं और बच्चों के साथ) और के रूप में आवंटित किया गया
    दीया अल-कलबी को एक मुसलमान। उसके पिता और भाई मारे गए और उसके पति किना मुहम्मद के आदेश के तहत उसकी छाती पर आग जलाई गई ताकि उसकी खोज की जा सके जनजाति के खजाने की जगह छिपाना, और जब उसने इसका खुलासा किया, तो उसे मुसलमानों द्वारा सिर काट दिया गया। एक स्रोत का कहना है कि उसकी और साफिया की शादी एक दिन ही हुई थी। वह लगभग 18 और इतनी सुंदर थी, ..की नबी मौजूदगी में मुसलमानों ने उसकी प्रशंसा शुरू की और इसलिए नबी ने आज्ञा दी कि उसे उसके सामने लाया जाए। उसे देखते ही, मुहम्मद ने कहा, “किसी भी गुलाम लड़की को छोड़ दो उसे बंदियों से "और उसने उसे अपने लिए चुना। हदीस में दी गई जानकारी से, हम यथोचित निष्कर्ष दे सकते हैं कि सफिया के पास नहीं था इस शादी में पसंद। शादी तक उसे बंदी बना लिया गया, और जब मुहम्मद ने फैसला किया कि वह एक गुलाम-लड़की के बजाय एक पत्नी होगी,

    ==Mariyah==
    मारिया द कॉप्ट पैगंबर की पत्नियों की नौकरानियों में से एक थी। मुहम्मद ने उसके साथ बिना किसी के साथ सेक्स किया समारोह, जो उनकी पत्नियों के बीच हंगामा का कारण बना और अंत में "दिव्य हस्तक्षेप" द्वारा निपटाया गया। वक़ीदी ने हमें सूचित किया है कि अबू बक्र ने बताया कि अल्लाह के दूत ने संभोग किया था हाफसह के घर में मरिय्याह के साथ। जब दूत घर से बाहर आया, तो हाफसा गेट पर (बंद दरवाजे के पीछे) बैठे। उसने नबी से कहा, ऐ अल्लाह के रसूल, तुम हो मेरे घर में और मेरी बारी के दौरान ऐसा करते हैं? संदेशवाहक ने कहा, “अपने आप को नियंत्रित करो और मुझे जाने दो क्योंकि मैं उसे अपना हराम (निषिद्ध) बनाता हूँ। हाफ़्सा ने कहा, "जब तक आप शपथ नहीं लेते, मैं स्वीकार नहीं करता ..मुझे "। मुहम्मद ने कहा, "अल्लाह द्वारा मैं उससे फिर से संपर्क नहीं करूंगा।"

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  2. कृष्ण : भगवान है या बलात्कारी..???

    दशरत राम यदि ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ कहलाता हैं
    तो वासुदेव नंदन कृष्ण ‘लीला पुरुषोत्तम’ अर्थात कृष्ण
    अपनी अनोखी लीलाओ के कारण जन सामान्य में अधिक लोकप्रिय रहे हैं.

    संभवत: कृष्ण का बचपन नंदगांव और गोकुल में गोपियों के बीच
    बीता. कृष्ण औरतो के मामले में शुरू से ही स्वतंत्र विचार के थे.
    पुराणों के अनुसार उनका मिजाज़ लड़कपन से ही आशिकाना मालूम होता हैं.
    गोपियों के साथ कृष्ण का यौन सम्बन्ध था इस विषय
    में लगभग सारा कृष्ण साहित्य एकमत हैं. इन गोपियों में विवाहित और
    कुमारी दोनों प्रकार की थी वे अपने पतियों, पिताओ और
    भाइयो के कहने
    पर भी नहीं रूकती थी:
    ‘ ता: वार्यमाणा: पतिभि:
    पितृभिभ्रातृभि स्तथा,
    कृष्ण
    गोपांगना रात्रौं रमयंती रतिप्रिया :’
    -विष्णुपुराण, 5, 13/59.
    अर्थात वे रतिप्रिय गोपियाँ अपने
    पतियों,
    पिताओं और भाइयो के रोकने पर भि रात में
    कृष्ण के
    साथ रमण करती थी.

    कृष्ण और गोपियों का अनुचित सम्बन्ध
    था यह बात
    भागवत में स्पष्ट रूप से मोजूद हैं,
    ईश्वर अथवा उस के अवतार माने जाने वाले
    कृष्ण का जन
    सामान्य के समक्ष अपने ही गाँव की बहु
    बेटियों के साथ सम्बन्ध रखना क्या आदर्श
    था ?

    कृष्ण ने गोपियों के साथ साथ ठंडी बालू
    वाले
    नदी पुलिन पर प्रवेश कर के रमण किया.
    वह स्थान
    कुमुद की चंचल और सुगन्धित वायु आनंददायक
    बन
    रहा था. बाहे फैलाना, आलिंगन करना,
    गोपियों के हाथ
    दबाना, बाल (चोटी) खींचना, जंघाओं पर
    हाथ फेरना,
    नीवी एवं स्तनों को चुन, गोपियों के नर्म
    अंगो नाखुनो से नोचना, तिर्चि निगाह से
    देखना,
    हंसीमजाक करना आदि क्रियाओं से
    गोपियों में
    कामवासना बढ़ाते हुए कृष्ण ने रमण किया.

    -श्रीमदभागवत महापुराण 10/29/45
    कृष्ण ने रात रात भर जाग कर अपने
    साथियो सहित
    अपने से अधिक अवस्था वाली और माता जैसे
    दिखने
    वाली गोपियों को भोगा.
    – आनंद रामायण, राज्य सर्ग 3/47
    कृष्ण के विषय में जो कुछ आगे पुरानो में
    लिखा हैं उसे
    लिखते हुए भी शर्म महसूस होती हैं
    की गोपियों के
    साथ उसने क्या-क्या किया इसलिए में निचे
    अब
    सिर्फ हवाले लिख रहा हूँ जहा कृष्ण ने
    गोपियों के
    यौन क्रियाये की हैं-

    – ब्रह्मावैवर्त पुराण, कृष्णजन्म खंड 4,
    अध्याय
    28-6/18, 74, 75, 77, 85, 86, 105,
    109,110,
    134, 70.
    – ब्रह्मावैवर्त पुराण, कृष्णजन्म खंड 4,
    115/86-88
    कृष्ण का सम्बन्ध अनेक नारियों से रहा हैं
    कृष्ण
    की विवाहिता पत्नियों की संख्या सोलह
    हज़ार एक
    सो आठ बताई जाती हैं. धार्मिक क्षेत्र में
    कृष्ण के साथ
    राधा का नाम ही अधिक प्रचलित हैं. कृष्ण
    की मूर्ति के साथ प्राय: सभी मंदिरों में
    राधा की मूर्ति हैं. लेकिन आखिर ये
    राधा थी कौन?
    ब्रह्मावैवर्त पुराण राधा कृष्ण
    की मामी बताई गयी हैं.
    इसी पुराण में राधा की उत्पत्ति कृष्ण के
    बाए अंग से
    बताई गयी हैं
    ‘कृष्ण के बायें भाग से एक कन्या उत्पन्न हुई.
    गुडवानो ने
    उसका नाम राधा रखा.

    – ब्रह्मावैवर्त पुराण, 5/25-26
    ‘उस राधा का विवाह रायाण नामक वैश्य
    के साथ कर
    दिया गया कृष्ण
    की जो माता यशोदा थी रायाण
    उनका सगा भाई था.

    – ब्रह्मावैवर्त पुराण, 49/39,41,49
    यदि राधा को कृष्ण के अंग से उत्पन्न माने
    तो वह
    उसकी पुत्री हुई . यदि यशोदा के नाते
    विचार करें
    तो वह कृष्ण की मामी हुई.
    दोनों ही दृष्टियो से
    राधा का कृष्ण के साथ प्रेम अनुचित था और
    कृष्ण ने
    अनेको बार राधा के साथ सम्भोग
    किया था ( ब्रह्मावैवर्त पुराण, कृष्णजन्म
    खंड 4,
    अध्याय 15) और यहाँ तक विवाह भी कर
    लिया था (ब्रह्मावैवर्त पुराण, कृष्णजन्म
    खंड 4,
    115/86-88).

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  3. तूने इस कॉमेंट में बहुत सी चीजें गलत लिखी हैं जैसे पत्नियों के नाम ।
    निम्नलिखित औरतें उनकी पत्नियां नहीं थीं ।
    12. हिंद
    13. सना बिंट अस्मा '/ अल-नशत
    14. ज़ैनब बंट ख़ुजिमा
    15. Unknown women that have sex with muhammad but mentioned in kuran
    16. तलाकशुदा अस्मा का बिन्त नोमान
    17. तलाकशुदा मुल्लाह बिन दाउद
    18. तलाकशुदा अल-शानबा 'बिंट' अम्र
    19. तलाक-ए-आलियाह
    20. तलाकशुदा अमरा बिन्त यज़ीद
    21. तलाक एक औरत
    22. क़ुतुलाह बिंत क़ईस
    23. सना बिंट सूफियान
    24. शराफ बिन्त खलीफा
    उनके कुछ उपपत्नी / सेक्स-दास हैं: -
    25. मारिया द कॉप्ट ( ईसाई)
    26. रेहाना बंट ज़ैद
    27. उम्म शारिक / गज़ियाह बिन्ट जाबिर
    28. मैमुना
    29. ज़ैनब
    30. खावला बिन्त अल-हुदयाल

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