Monday 29 August 2016

शूद्र वेद नहीं पढ़ सकता

एक पोस्ट "इस्लामी निज़ाम में गैर मुसलमानों के लिए नियम" को जवाब


वैसे तो हमें किसी फालतू पोस्ट को जवाब लिखने की ज़रूरत नहीं है लेकिन जब वो पोस्ट ज़्यादा CP होने लगती है तो जवाब लिखना पड़ता है

मै यहाँ गैर मुस्लिम के हक़ नई गिना रहा इस्लाम में मै यहाँ सनातनधर्म में शूद्रा के हक़ पे लिख रहा। सनातन धर्म में गैर सनातनी(ब्रह्मदिवष) के हक़ पे पोस्ट बाद मे होगी। पार्ट(1)

(1) शुद्र वेद नहीं पढ़ सकता।
(2) शुद्र मंदिर नहीं जा सकता।
(3) शुद्र ब्राह्मण क घर के सामने से नई जा सकता या ब्राह्मण क सामने नहीं बैठ सकता।
(4) शुद्र को मारना जानवर को मारने जैसा है।
(5) शुद्र को अगर ब्राहमण मारता है तो ब्राहमण को कोई सज़ा नहीं है।
(6) शुद्र अगर ब्राह्मण को गाली देता है या बुरा कहता है तो शुद्र की ज़बान काट दो।
(7) शुद्र सिर्फ ब्राहमण की सेवा करने क लिए बनाये गए हैं।
(8) ब्राहमण शुद्र की लड़की से रेप करे तो ब्राह्मण को कोई सज़ा नहीं है।
(9) शुद्र पढ़ने की कोशिश करे तो उस के कान में ग्लास पिघला क और आँख में गर्म लोहा डाल दो।
(10) शुद्र सिर्फ ब्राहमण का बचा ही खा सकता है।
(11) शुद्र की सारी प्रॉपर्टी पे ब्राहमण का हक़ है।

2 comments:

  1. आइए, सबसे पहले कुछ उपासना मंत्रों से जानें कि वेद शूद्र के बारे में क्या कहते हैं –



    यजुर्वेद १८ | ४८

    हे भगवन! हमारे ब्राह्मणों में, क्षत्रियों में, वैश्यों में तथा शूद्रों में ज्ञान की ज्योति दीजिये | मुझे भी वही ज्योति प्रदान कीजिये ताकि मैं सत्य के दर्शन कर सकूं |

    यजुर्वेद २० | १७

    जो अपराध हमने गाँव, जंगल या सभा में किए हों, जो अपराध हमने इन्द्रियों में किए हों, जो अपराध हमने शूद्रों में और वैश्यों में किए हों और जो अपराध हमने धर्म में किए हों, कृपया उसे क्षमा कीजिये और हमें अपराध की प्रवृत्ति से छुडाइए |

    यजुर्वेद २६ | २

    हे मनुष्यों ! जैसे मैं ईश्वर इस वेद ज्ञान को पक्षपात के बिना मनुष्यमात्र के लिए उपदेश करता हूं, इसी प्रकार आप सब भी इस ज्ञान को ब्राह्मण, क्षत्रिय, शूद्र,वैश्य, स्त्रियों के लिए तथा जो अत्यन्त पतित हैं उनके भी कल्याण के लिये दो | विद्वान और धनिक मेरा त्याग न करें |

    अथर्ववेद १९ | ३२ | ८

    हे ईश्वर ! मुझे ब्राह्मण, क्षत्रिय, शूद्र और वैश्य सभी का प्रिय बनाइए | मैं सभी से प्रसंशित होऊं |

    अथर्ववेद १९ | ६२ | १

    सभी श्रेष्ट मनुष्य मुझे पसंद करें | मुझे विद्वान, ब्राह्मणों, क्षत्रियों, शूद्रों, वैश्यों और जो भी मुझे देखे उसका प्रियपात्र बनाओ |

    इन वैदिक प्रार्थनाओं से विदित होता है कि –

    -वेद में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र चारों वर्ण समान माने गए हैं |

    -सब के लिए समान प्रार्थना है तथा सबको बराबर सम्मान दिया गया है |

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  2. इन मन्त्रो में प्राथना है उपदेश नही है

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