वेद सूर्य के बारे में
क्या कहते हैं।
ऋग्वेद मण्डल 7 सूक्त 55 मंत्र 7 कहता है
सहस्रश्र्ङगो वृषभो यः समुद्रादुदाचरत |
हज़ार सींगों वाला बेल अर्थात हज़ार किरणों
वाला बलवान सूर्य समुद्र से उदय हुआ
यही मंत्र अथर्ववेद काण्ड 4 सूक्त 5 मंत्र 1 में दोहराया
गया है।
अथर्ववेद 7/81/1 में है
पूर्वापरं चरतो माययैतौ शिशू क्रीडन्तौ
परियातोsर्णवम्
ये दोनों बालक अर्थात सूर्य और चन्द्र खेलते हुए,
शक्ति से आगे पीछे चलते हैं, और ससमुद्र तक भ्रमण करते
हुए पहुँचते हैं।
तो हमारे हिन्दू एवं आर्य बंधु यह बताने का कष्ट करेंगे
कि सूर्य और चन्द्र को बच्चों की तरह खेलते हुए
बताना कोनसा विज्ञान है?
इसके अतिरिक्त ऋग्वेद के विशेष ब्राह्मण ग्रंथ
कौषीतकी ब्राह्मण 18/9 मैं लिखा है
स वा एषोsअपः प्रविशय वरुणो भवति
अर्थात सूर्य पानी में प्रविष्ट हो जाता है और वरुण
कहलाता है।
वाह जी वाह। क्या ही उत्तम विज्ञान है। कहने और
दिखाने को तो बहुत कुछ ह
Monday 29 August 2016
वेद सूर्य के बारे में
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