Sunday 28 August 2016

आनंद और लक्ष्मी कहां बसते हैं

सन्तुष्टो भार्यया भर्ता भर्त्रा भार्य्या तथैव च।
यस्मिन्नेव कुले नित्यं कल्याणं तत्र वै ध्रुवम् ।। मनु.।।
जिस कुल में स्त्री से पुरूष और पुरूष से स्त्री सदा प्रसन्न रहती है उसी कुल में आनन्द लक्ष्मी और कीर्ति निवास करती है और जहां विरोध , कलह , होता है वहां दुःख, दरिद्र और निन्दा निवास करती है।

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