Monday 29 August 2016

वेदों में प्रथ्वी खडी यह यह

धर्म की बात
Thursday, January 14, 2010
वेंदों-में-विज्ञान
hamen in granthon par vichhar karna chahiye,, dekho

वेदों में पृथ्‍वी खडी है
यह बात चौथी कक्षा का विद्यार्थी भी जानता है कि यह घूमती है लेकिन वेदों में लिखा पृथ्‍वी खडी है
यः पृथ्‍वी व्‍यथमानामद्रहत् यः जनास इंद्रः--- ऋ. 2/12/2
अर्थात है मनुष्‍यो, जिसने कांपती हुई पृथ्‍वी को स्थिर किया, वह इंद्र है

वेदों का घूमता सूर्य
प्रारंभिक स्कूल का विद्यार्थी भी जानता है सूर्य वहीं खडा है वेदों में सूर्य को रथ पर सवार होकर चलने वाला कहा गया है

उदु तयं जातवेदसं देवं वहन्ति केतवः,
दृशे विश्‍वाय सूर्यम ----- ऋ. 1/50/1

अर्थात सूर्य प्रकाशमान है और सारे प्राणियों को जानता है. सूर्य के घोडे उसे सारे संसार के दर्शन के लिए ऊपर ले जाते हैं
वेदों में ग्रहणों के संबंध में जो जानकारी भरी हुई है उसे पढ लेने के बाद कोई जरा सी बुद्धि‍ रखने वाला व्‍यक्ति भी वेदों में विज्ञान ढूंडने की बात न करेगा
सूर्य ग्रहण के बारे में ऋग्‍वेद का कहना है कि सूर्य को स्‍वर्भानु नामक असुर आ दबोचता है और अत्रि व अत्रिपुत्र उसे उस असुर से मुक्‍त करते हैं, तब ग्रहण समाप्‍त होता है.
(क)
यतृत्‍वा सूर्य स्‍वर्भानुस्‍तमसाविध्‍यदासुरः
अक्षेत्रविद् यथा गुग्‍धो भुवनान्‍यदीधयुः -- ऋ 5/ 40/ 5

इसी प्रकार अथर्ववेद 19/ 9/ 10 में चंद्र को ग्रहण लगाने वाला राहू असुर बताया गया है

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