Friday 2 September 2016

Napansuk ved raja

Written by brother Vikas Vahist

क्या वेदकाल से ही नपुसकँ है आर्य राजा ~

आर्यो ब्रहाचार्य का भडाँफोड ~

नियोग या सिर्फ भोग ~

अगर हम धार्मिक ग्रथोँ का अध्ययन करते है तो वेदकाल से ही आर्य राजा नपुसँक दिखते है और ब्रहाचार्य का चोला पहने ऋषी भोगी दिखते है ।

ब्रहाचार्य तो सिर्फ एक चौला था
लेकिन ब्रहाचार्य का पालन किसी ने भी नहीँ किया कोई किसी राजा कि पत्नि के साथ नियोग कर रहा है । कोई किसी के साथ ।

और वहीँ आर्य राजाओ को देखा जाए तो वो बेचारे नपुसकँ दिखते धार्मिक ग्रथोँ मे

राजा दशरत 4 पत्नि पुत्र चारो नियोग से । राजा
जनक सिता जी उनकी पुत्रि नहीँ थी बल्कि खेत मे मिली थी जिसका जिकर स्वामी जी ने अपने अमर ग्रथँ सत्यार्थ मे किया है ।

महाभारत कि बात करे तो एक भी विवाह से सतानँ उत्तपन नहीँ हुई जहाँ पाडवोँ कि बात है वो कुतिँ कुवारी थी तभी नियोग कर लिया था ।

ध्रतराष्ट वो भी नियोग से हुए । उनकी शादी हुई गाधारीँ के साथ पर पुत्र नहीँ हुए तभ एक से नियोग किया फिर आगे लिखा है वो 2 वर्ष
तक गर्भवती रही फिर 100 पुत्रोँ का जन्म एक ही बार की डिलीवरी मेँ ।
आगे भिष्म
जिन्हे बडा बहुत बडा ब्रहाचारी कहा जाता है वो भी नियोगी थे । ब्रहाचार्य का पालन किसी ने नहीँ किया ।

ब्रहाचार्य आर्यो का चोला था जैसे हाथी के दातँ खाने के और दिखाने
के और होते है ।

आज आपको ऐसे आर्य मिल जाएगेँ जो नियोग को आपात कालिन स्थिती का उपाय बताते है । की नियोग तो पती के मर जाने पर है ।

आर्यो के दावोँ का भडाफोँड उनके ही स्वामी जी के अगर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश से

सत्यार्थ प्रकाश समुल्लास 4 पृष्ट 102 पर यह भी लिखा है कि जिस स्त्री का पति जीवित है वह दूर देश में रोजगार के लिए गया हो तो उसकी स्त्री तीन वर्ष तक बाट (प्रतिक्षा) देखकर किसी अन्य पुरूष से नियोग
( कुकर्म ) कर के सतानँ कर ले, जब पति घर आये तो नियोग किए पति को त्याग दे तथा उस गैर संतान का गोत्र भी विवाहित पति वाला ही
माना जाएगा।

समिक्षा ~ यहाँ साफ बताया गया है कि अगर किसी औरत का पत्ति जिवित है और अगर वो बाहर गया है रोजगार के लिए तो पत्नि को चाहिए कि किसी गैर मर्द से नियोग (कुकरम ,
बिना विवाह के शारिरिक सबधँ अर्थात जिना गुनाह ) कर ले

इतने गटीया तो अग्रेजोँ के भी नियम नहीँ जितने आर्यो के है ।


(4). जिस पुरूष की पत्नी अप्रिय बोलने वाली हो तो उस पुरूष को चाहिए कि किसी अन्य स्त्री से नियोग कर ले तथा रहे अपनी पत्नी के
साथ ही।

समिक्षा ~ अगर किसी कि पत्नी अप्रिय बोले तो उसे छोडकर किसी दुसरी से नियोग ( कुकरम ) कर ले और रहे उसके साथ ।

कुछ जाहिल नयुज चैनल वाले तलाक " का मजाक उडाते है और इस्लाम को बदनाम करते है । देख लो जाहिलोँ
अगर इस्लाम का कानुन तलाक " ना होता तो ये होता औरतो के साथ "बताइए भला क्या कोई अप्रिय बोलने कि वजह से हि किसी दुसरी
औरत के साथ सबधँ क्यु बनाये जब वो उसके साथ रह सकता है तो फिर उसे उसका हक कयो नहीँ दे सकता क्यो किसी दुसरी औरत से सबधँ बनाये ।

इसी प्रकार जो पुरूष अत्यन्त दुःखदायक हो तो उसकी स्त्री भी दूसरे पुरूष से नियोग से कर
के उसी विवाहित पति के दायभागी संतान कर लेवे।

समिक्षा ~ हद है जाहिलियत की अगर किसी का पत्ति दुखदायक है तो उसकी पत्रनी उसे छोडकर किसी दुसरे पुरुष से नियोग ( कुकरम) क्यो करे ।



इतना ही नहीँ सत्यार्थ प्रकाश मे स्वामी जी ने ये तक फरमाया है की अगर कीसी कि पत्नी गर्भवती हो और पति से ना रहा जाए तो किसी दुसरी औरत से नियोग कर ले "

स्वामी जी ने आर्यो औरतो को 11 मर्दो और मर्दो को 11 औरतोँ तक नियोग (कुकरम) करने
कि छुट दी है ।

समिक्षा ~ इन बातो के बाद नियोग के
आपातकालिन होने का तो सवाल ही नहीँ उठता और दुसरी तरफ ब्रहाचार्य के दावे का भी भडाँफोड हो जाता है । कयोकिँ अगर पतनी के गभवर्ती होने तक ही अगर ब्रहाचार्य का पालन नहीँ किया जाए तो कैसा ब्रहाचार्य ।
ये ब्रहाचार्य सिर्फ दिखावा है जैसे हाथी के दातँ खाने के और दिखाने के और होते है ।

अब आर्यो के ही धार्मिक ग्रथोँ से नियोग (कुकरम , बिना विवाह शारिरिक सबधँ ,
गुनाह ) के प्रमाण देखीये ~

रामायण/ महाभारत/स्मृति में नियोग के प्रमाण

व्यासजी का काशिराज की पुत्री
अम्बालिका से नियोग- महाभारत आदि पर्व अ 106/6
वन में बारिचर ने युधिस्टर से कहा- में
तेरा धर्म नामक पिता- उत्पन्न करने वाला जनक हूँ- महाभारत वन पर्व 314/6


उस राजा बलि ने पुन: ऋषि को प्रसन्न किया और अपनी भार्या सुदेष्णा को उसके पास फिर भेजा- महाभारत आदि पर्व अ 104 कोई गुणवान ब्राह्मण धन देकर बुलाया जाये जो
विचित्र वीर्य की स्त्रियों में संतान उत्पन्न करे- महाभारत आदि पर्व 104/2

उत्तम देवर से आपातकाल में पुरुष पुत्र की इच्छा करते हैं-
महाभारत आदि पर्व 120/26
परशुराम द्वारा लोक के क्षत्रिय रहित होने पर वेदज्ञ ब्राह्मणों ने क्षत्रानियों में संतान उत्पन्न की- महाभारत आदि पर्व 103/10

पांडु कुंती से- हे कल्याणी अब तू किसी बड़े ब्राह्मण से संतान उत्पन्न करने का प्रयत्न कर- महाभारत
आदि पर्व 120/28

सूर्ष ने कुंती से कहा- तू
मुझसे भय छोड़कर प्रसंग कर- महाभारत आदि
पर्व 111/13

किसी कुलीन ब्राह्मण को
बुलाकर पत्नी का नियोग करा दो, इनमे कोई
दोष नहीं हैं-

सूर्य ने कुंती से कहा-भय मत करो संग करो- महाभारत अ। पर्व 111/13

वह तू केसरी का पुत्र क्षेत्रज नियोग से उत्पन्न बड़ा पराकर्मी – वाल्मीकि रामायण किष कांड 66/28

मरुत ने अंजना से नियोग कर हनुमान को उत्पन्न किया – वाल्मीकि रामायण किष कांड 66/15

जिसका पति मर गया हैं-वह 6 महीने बाद पिता व भाई नियोग करा दे- वशिष्ट स्मृति 17/486

किन्ही का मत हैं की देवर को छोड़कर अन्य से नियोग न करे- गौतम स्मृति 18
जिसका पति विदेश गया हो तो वह नियोग कर ले- नारद स्मृति श्लोक 98/99/100

देवर विधवा से नियोग करे- मनु स्मृति 9/62

आपातकाल में नियोग भी गौण हैं- मनु 9/58

नियोग संतान के लोभ के लिए ही किया जाना चाहिए- ब्राह्मण सर्वस्व पृष्ट 233 यदि राजा वृद्ध
हो गया या बीमार रहता हो तो अपने मातृकुल तथा किसी अन्य गुणवान सामंत से अपनी भार्या में नियोग द्वारा पुत्र उत्पन्न करा ले- कौटिलीय शास्त्र 1/17/52

जब कई भाई संग रहते हो और उनमें से एक निपुत्र मर जाये तो उसकी स्त्री का ब्याह पर गोत्री से न किया जाये-उसके पति का भाई उसके पास जाकर उसे अपनी स्त्री कर ले –
व्यवस्था विवरण 25/5-10

यदि देवर नियोग से इंकार करे तो भावज उसके मुह पर थूके और जूते उसके पाव से उतारे- व्यवस्था 25/2

आर्य राजा नपुसकँ थे और ब्रहाचार्य कहलाने वाले भोगी थे ।

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